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UPI के नए नियम: 1 अगस्त 2025 से बदल जाएगी आपकी डिजिटल पेमेंट की दुनिया!

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बैलेंस चेक करने की सीमा: अब ज़्यादा चेक, तो टेंशन!

कल्पना करें, आप सुबह-सुबह सब्जी वाले को पेमेंट कर रहे हैं और बार-बार बैलेंस चेक कर रहे हैं कि पैसे गए कि नहीं। अब ऐसा बार-बार नहीं चलेगा। नए नियमों के तहत, आप किसी एक UPI ऐप से दिन में सिर्फ 50 बार बैलेंस चेक कर पाएंगे । हां, अगर आप दो ऐप्स इस्तेमाल करते हैं, तो दोनों में अलग-अलग 50 बार चेक कर सकते हैं। लेकिन अगर आपने लिमिट क्रॉस कर दी, तो फिर बैंक ऐप की शरण लेनी पड़ेगी। NPCI का कहना है कि बार-बार बैलेंस चेक करने से सिस्टम पर लोड बढ़ता है, खासकर पीक आवर्स (सुबह 10 से दोपहर 1 और शाम 5 से रात 9:30) में। याद है, अप्रैल-मई 2025 में UPI डाउन होने की शिकायतें? बस, उसी को ठीक करने की कोशिश है ये।

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हर पेमेंट के बाद बैलेंस अपडेट: अब बार-बार चेक करने की ज़रूरत नहीं

अच्छी खबर ये है कि अब हर UPI पेमेंट के बाद आपको SMS या ऐप नोटिफिकेशन के ज़रिए बैलेंस की जानकारी मिलेगी । मान लीजिए, आपने किराने की दुकान पर 500 रुपये का पेमेंट किया। पेमेंट सक्सेस होते ही आपको पता चल जाएगा कि अकाउंट में कितना बैलेंस बचा है। इससे आपको बार-बार “बैलेंस चेक” बटन दबाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। ये छोटा-सा बदलाव आपके समय और सिस्टम के लोड दोनों को बचाएगा।


लिंक किए गए खातों की जानकारी: दिन में सिर्फ 25 बार

क्या आप बार-बार चेक करते हैं कि आपके मोबाइल नंबर से कौन-कौन से बैंक अकाउंट लिंक हैं? अब थोड़ा ध्यान देना होगा। नए नियम कहते हैं कि आप दिन में सिर्फ 25 बार लिंक किए गए बैंक अकाउंट्स की लिस्ट देख सकते हैं । ये भी इसलिए ताकि सिस्टम पर बेवजह का दबाव न पड़े। अगर आपको लगता है, “अरे, कौन इतनी बार चेक करता है?”, तो जरा उन छोटे दुकानदारों के बारे में सोचिए जो दिनभर में ढेर सारे ट्रांज़ैक्शन्स करते हैं। उनके लिए ये लिमिट थोड़ा सोचने वाली बात हो सकती है।


ऑटो-पे का नया टाइमटेबल: अब समय देखकर पेमेंट

अगर आप नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम, या EMI जैसे ऑटो-पे इस्तेमाल करते हैं, तो ये आपके लिए ज़रूरी खबर है। अब ऑटो-पे पेमेंट्स सिर्फ खास समय पर ही प्रोसेस होंगे : सुबह 10 बजे से पहले, दोपहर 1 से 5 बजे के बीच, और रात 9:30 बजे के बाद। इसका मतलब है कि पीक आवर्स में आपका अकाउंट अपने आप डेबिट नहीं होगा। ये बदलाव इसलिए ताकि सिस्टम पर ट्रैफिक कम रहे और आपके रेगुलर पेमेंट्स बिना रुकावट हो सकें। तो, अगर आपकी EMI या सब्सक्रिप्शन की तारीख पास है, तो इन टाइम स्लॉट्स का ध्यान रखें।


पेमेंट स्टेटस चेक करने की लिमिट: धैर्य रखें, 90 सेकंड!

कभी-कभी पेमेंट अटक जाता है, और हम बार-बार “रिफ्रेश” बटन दबाते हैं, है ना? अब ऐसा नहीं चलेगा। नए नियमों के तहत, आप किसी पेमेंट का स्टेटस दिन में सिर्फ 3 बार चेक कर सकते हैं, और हर चेक के बीच 90 सेकंड का गैप होना ज़रूरी है । ये नियम इसलिए ताकि सिस्टम पर बार-बार स्टेटस चेक करने का लोड न पड़े। हां, थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा, लेकिन ये सिस्टम को तेज़ और स्थिर बनाने के लिए है।

और भी कुछ ज़रूरी बदलाव

  • पेमेंट रिवर्सल की सीमा : आप 30 दिन में सिर्फ 10 बार पेमेंट रिवर्सल (यानी पैसे वापस मांगने) की रिक्वेस्ट कर सकते हैं, और किसी एक व्यक्ति या संस्था के लिए 5 बार से ज़्यादा नहीं। इससे फ्रॉड और बेवजह के डिस्प्यूट्स कम होंगे।
  • बैंक ऑडिट अनिवार्य : हर बैंक को साल में एक बार अपनी UPI सिस्टम का ऑडिट करना होगा, और पहला रिपोर्ट 31 अगस्ट 2025 तक जमा करना होगा। इससे सिस्टम की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
  • बेनिफिशियरी का नाम दिखेगा : 30 जून 2025 से लागू इस नियम के तहत, हर पेमेंट से पहले आपको रिसीवर का रजिस्टर्ड बैंक नाम दिखेगा। इससे गलत ट्रांज़ैक्शन्स और फ्रॉड की संभावना कम होगी।

तो अब क्या करें?

इन बदलावों का असर आपके रोज़ के छोटे-मोटे पेमेंट्स पर नहीं पड़ेगा, लेकिन अगर आप बार-बार बैलेंस चेक करते हैं या ऑटो-पे पर निर्भर हैं, तो थोड़ा ध्यान देना होगा। कुछ टिप्स:

  • बैलेंस चेक कम करें : ज़रूरत पड़ने पर ही बैलेंस चेक करें, क्योंकि अब हर पेमेंट के बाद अपडेट मिलेगा।
  • ऑटो-पे का समय चेक करें : अपनी EMI या सब्सक्रिप्शन की तारीखें नॉन-पीक आवर्स में सेट करें।
  • पेमेंट से पहले नाम चेक करें : फ्रॉड से बचने के लिए रिसीवर का नाम ज़रूर देखें।
  • धैर्य रखें : अगर पेमेंट अटक जाए, तो 90 सेकंड इंतज़ार करें और बार-बार स्टेटस चेक करने से बचें।

अंत में

UPI ने भारत में डिजिटल पेमेंट्स को एक नया आयाम दिया है। हर महीने 16 बिलियन से ज़्यादा ट्रांज़ैक्शन्स के साथ, ये सिस्टम हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है। लेकिन जैसे-जैसे यूज़र्स बढ़ रहे हैं, सिस्टम पर दबाव भी बढ़ रहा है। अप्रैल और मई 2025 में हुईं सर्वर डाउन की घटनाओं ने NPCI को ये कदम उठाने के लिए मजबूर किया। तो, इन नए नियमों को समझें, अपनी आदतें थोड़ी बदलें, और UPI को और बेहतर बनाने में योगदान दें।

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