चेहरा दिखाओ, बैंकिंग करो: ये है नई तकनीक
IPPB की इस नई सुविधा के तहत अब आपको बैंकिंग लेन-देन के लिए न तो फिंगरप्रिंट देने की जरूरत है और न ही OTP का इंतजार करना पड़ेगा। बस अपने चेहरे को कैमरे के सामने लाइए, और हो गया! यह तकनीक यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के ढांचे में विकसित की गई है, जो आधार से जुड़े चेहरे के बायोमेट्रिक डेटा का इस्तेमाल करके आपकी पहचान को सत्यापित करती है।
IPPB की ये नई सुविधा उनके जैसे लाखों लोगों के लिए एक राहत की खबर है। अब न फिंगरप्रिंट की चिंता, न OTP के लिए फोन की जरूरत सिर्फ एक सेल्फी जैसा अनुभव, और लेन-देन पूरा!
वंचित वर्गों के लिए एक नई उम्मीद
IPPB के इस कदम का मकसद सिर्फ तकनीक को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि वित्तीय समावेशन (financial inclusion) को बढ़ाना है। IPPB के प्रबंध निदेशक और सीईओ आर. विश्वेश्वरन ने कहा, “हमारा मानना है कि बैंकिंग सिर्फ सुलभ नहीं, बल्कि सम्मानजनक भी होनी चाहिए। आधार-आधारित चेहरा प्रमाणीकरण के साथ, हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई भी ग्राहक बायोमेट्रिक या OTP सत्यापन की सीमाओं की वजह से पीछे न छूटे।”
यह सुविधा खास तौर पर उन लोगों के लिए बनाई गई है जो:
- बुजुर्ग हैं और जिनके फिंगरप्रिंट धुंधले हो गए हैं।
- दिव्यांग हैं, जिन्हें फिंगरप्रिंट मशीनों का इस्तेमाल करने में दिक्कत होती है।
- स्वास्थ्य आपातकाल में हैं, जहां शारीरिक संपर्क जोखिम भरा हो सकता है (जैसे कोविड महामारी के दौरान)।
- ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, जहां स्मार्टफोन या नेटवर्क की पहुंच सीमित है।
डिजिटल इंडिया और वित्तीय समावेशन की दिशा में एक कदम
IPPB, जो डाक विभाग के तहत काम करता है, भारत के विशाल डाक नेटवर्क का इस्तेमाल करता है लगभग 1.65 लाख डाकघर और 3 लाख डाक कर्मचारी ताकि बैंकिंग सेवाएं हर कोने तक पहुंच सकें। 2018 में शुरू हुआ IPPB आज 11 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों को सेवा दे रहा है, और यह नई तकनीक उनके मिशन “आपका बैंक, आपके द्वार” को और मजबूत करती है।
यह सुविधा डिजिटल इंडिया पहल के साथ पूरी तरह से तालमेल में है। यह न सिर्फ पेपरलेस और कैशलेस बैंकिंग को बढ़ावा देती है, बल्कि कॉन्टैक्टलेस (touchless) बैंकिंग का रास्ता भी खोलती है। चाहे खाता खोलना हो, बैलेंस चेक करना हो, फंड ट्रांसफर करना हो, या बिल भुगतान करना हो सब कुछ अब चेहरे की पहचान से संभव है।
क्यों है ये तकनीक खास?
- सुरक्षा : आधार से जुड़ा चेहरा प्रमाणीकरण एक अतिरिक्त सुरक्षा परत जोड़ता है, जो लेन-देन को और भरोसेमंद बनाता है।
- सुविधा : बिना किसी फिजिकल डिवाइस या स्मार्टफोन के, बस कैमरे से काम हो जाता है।
- समावेशिता : यह तकनीक उन लोगों को बैंकिंग की मुख्यधारा में लाती है जो पहले तकनीकी या शारीरिक सीमाओं की वजह से बाहर थे।
- स्वास्थ्य सुरक्षा : महामारी जैसे हालात में, जहां शारीरिक संपर्क जोखिम भरा हो, यह तकनीक सुरक्षित विकल्प देती है।
क्या हैं चुनौतियाँ?
हालांकि यह तकनीक गेम-चेंजर है, लेकिन कुछ सवाल भी उठते हैं। जैसे, क्या ग्रामीण क्षेत्रों में सभी के पास इस तकनीक तक पहुंच होगी? क्या कैमरे की क्वालिटी या लाइटिंग की कमी सत्यापन को प्रभावित कर सकती है? IPPB ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए जागरूकता अभियान और कर्मचारी प्रशिक्षण शुरू किया है, ताकि इस सुविधा का लाभ हर किसी तक पहुंचे।