इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल क्या है?
इथेनॉल एक बायोफ्यूल है, जो गन्ने, मक्का या अन्य कृषि उत्पादों से बनता है। भारत में इसे पेट्रोल के साथ मिलाकर E10 (10% इथेनॉल) और अब E20 (20% इथेनॉल) के रूप में बेचा जा रहा है। सरकार का मकसद है क्रूड ऑयल के आयात को कम करना और पर्यावरण को बेहतर बनाना। लेकिन बात इतनी सीधी नहीं है। LocalCircles के एक सर्वे में, दो-तिहाई लोगों ने E20 को अनिवार्य करने के सरकार के फैसले का विरोध किया।
E20 से माइलेज क्यों घटता है?
पेट्रोल में उच्च ऊर्जा घनत्व (energy density) होता है, यानी यह जलने पर ज्यादा ऊर्जा देता है। लेकिन इथेनॉल का ऊर्जा घनत्व पेट्रोल से लगभग आधा है। जब इन दोनों को मिलाया जाता है, तो कुल ऊर्जा घनत्व कम हो जाता है, जिससे कार का माइलेज प्रभावित होता है।
उदाहरण के लिए, अगर आपकी कार पहले 15 किमी/लीटर का माइलेज देती थी, तो E20 के साथ ये 11-12 किमी/लीटर तक गिर सकता है। और क्योंकि माइलेज कम हो जाता है, आप अनजाने में गाड़ी को ज्यादा रफ्तार में चलाते हैं, जिससे इंजन पर जोर पड़ता है और माइलेज और भी कम हो जाता है।
पुरानी कारों पर E20 का क्या असर पड़ता है?
पुरानी कारें, खासकर BS4 या उससे पुरानी, E20 के लिए डिज़ाइन नहीं की गई हैं। ये कारें शुद्ध पेट्रोल की ऊर्जा पर निर्भर करती हैं। जब आप इनमें E20 डालते हैं, तो कई समस्याएं हो सकती हैं:
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जंग (Corrosion) : इथेनॉल पानी को आकर्षित करता है, जिससे मेटल फ्यूल टैंक में जंग लग सकती है। ये जंग के कण फ्यूल पंप या इंजेक्शन सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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इंजन नॉकिंग : इथेनॉल-मिश्रित ईंधन में ऊर्जा कम होने से इंजन को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे “नॉकिंग” (असामान्य जलन) हो सकती है। इससे सिलेंडर की दीवारों को नुकसान हो सकता है।
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रबर और प्लास्टिक पार्ट्स को नुकसान : पुरानी कारों के फ्यूल लाइन, गास्केट और सील्स इथेनॉल के लिए उपयुक्त नहीं होते। इससे लीकेज या इंजन की परफॉर्मेंस कम हो सकती है।
इसका समाधान क्या है?
अगर आपकी कार E20 के लिए तैयार नहीं है, तो कुछ उपाय हैं:
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OEM की सलाह मानें : अपनी कार के मैनुअल में चेक करें कि निर्माता ने कौन सा ईंधन सुझाया है। ज्यादातर BS6 कारें (अप्रैल 2023 के बाद बनी) E20 के लिए तैयार हैं।
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100 ऑक्टेन पेट्रोल : ये इथेनॉल-मुक्त होता है और BS4 या पुरानी कारों के लिए सुरक्षित है, लेकिन इसकी कीमत करीब 160 रुपये/लीटर है।
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नियमित मेंटेनेंस : अगर E20 इस्तेमाल कर रहे हैं, तो हर 20,000-30,000 किमी पर रबर पार्ट्स और गास्केट चेक करवाएं। ये छोटा-मोटा खर्चा बड़ा नुकसान बचा सकता है।
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फ्यूल स्टेबलाइज़र : अगर गाड़ी लंबे समय तक खड़ी रहती है, तो फ्यूल स्टेबलाइज़र का इस्तेमाल करें ताकि इथेनॉल से जंग न लगे।
क्या E20 वाकई “हरित” है?
सरकार का कहना है कि E20 से CO2 उत्सर्जन कम होता है और क्रूड ऑयल आयात पर निर्भरता घटती है। लेकिन इसके लिए गन्ना और मक्का जैसी फसलों की जरूरत पड़ती है, जो पानी और जमीन की खपत बढ़ाती हैं। साथ ही, अगर माइलेज कम हो रहा है और इंजन को नुकसान हो रहा है, तो क्या ये वाकई फायदेमंद है?
मेरे ख्याल से, सरकार को पेट्रोल पंपों पर E20 की जानकारी साफ-साफ देनी चाहिए। कई बार तो पंप कर्मचारी भी नहीं जानते कि वो क्या बेच रहे हैं
निष्कर्ष: अपनी कार को समझें
E20 पेट्रोल पर्यावरण के लिए अच्छा हो सकता है, लेकिन पुरानी कारों के लिए ये परेशानी का सबब बन सकता है। अगर आपकी गाड़ी 2023 से पहले की है, तो E20 के इस्तेमाल से पहले अपने मैकेनिक से सलाह लें। और अगर माइलेज की चिंता है, तो 100 ऑक्टेन पेट्रोल या कम इथेनॉल वाले ईंधन की तलाश करें।