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लालबागचा राजा 2025: भव्य 20 किलो सोने का मुकुट और 40 घंटे की प्रतीक्षा के साथ शुरू हुआ गणेशोत्सव

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लालबागचा राजा 2025 की पहली झलक

लालबागचा राजा की पहली झलक, जिसे ‘शिविरारंभ’ के नाम से भी जाना जाता है, 24 अगस्त 2025 को रविवार को भक्तों के सामने प्रस्तुत की गई। यह आयोजन लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल द्वारा आयोजित किया गया, जो 1934 से इस परंपरा को जीवंत रखे हुए है।

इस साल की मूर्ति की सजावट ने सभी का ध्यान खींचा। गणपति बप्पा बैंगनी रंग के मखमली वस्त्रों में सजे हैं, जिन्हें तीन रंगों की माला और एक अनूठा चक्र आभूषित करता है। मूर्ति का सबसे आकर्षक हिस्सा है इसका 20 किलो सोने का मुकुट, जो इसकी भव्यता को और बढ़ाता है। यह मुकुट न केवल शिल्पकला का उत्कृष्ट नमूना है, बल्कि भक्तों की श्रद्धा का प्रतीक भी है।

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गणेश चतुर्थी 2025: तिथि और महत्व

गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी या विनायक चविथी भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह पर्व 27 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर 2025 तक चलेगा। 10 दिनों तक चलने वाला यह उत्सव नई शुरुआत, बुद्धि और समृद्धि के देवता भगवान गणेश को समर्पित है।

लालबागचा राजा की पूजा विशेष रूप से महाराष्ट्र में लोकप्रिय है, जहां भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए लंबी कतारों में खड़े रहते हैं। इस मूर्ति को ‘नवसाचा गणपति’ यानी मनोकामना पूरी करने वाला गणपति भी कहा जाता है।


पर्यावरण के प्रति जागरूकता: ईको-फ्रेंडली गणपति

इस साल लालबागचा राजा की मूर्ति को पर्यावरण के प्रति जागरूकता के साथ तैयार किया गया है। शिल्पकारों ने ईको-पेपर तकनीक का उपयोग किया, जिसमें कैल्शियम पाउडर, रिफाइंड पेपर पल्प और पेपर लेयरिंग का इस्तेमाल होता है। यह मूर्तियां न केवल हल्की और मजबूत हैं, बल्कि पूरी तरह से रीसायकल होने योग्य भी हैं। इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता, और यह पहल गणेशोत्सव को और भी सार्थक बनाती है।


लालबागचा राजा का इतिहास और सांस्कृतिक महत्व

लालबागचा राजा की परंपरा 1934 से चली आ रही है, जब लालबाग, परेल क्षेत्र के कोली मछुआरों और स्थानीय व्यापारियों ने इस मंडल की स्थापना की थी। उस समय स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था, और लोकमान्य तिलक ने सार्वजनिक गणेशोत्सव को सामाजिक एकता और जागरूकता का माध्यम बनाया था। आज भी लालबागचा राजा केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि मुंबई की सांस्कृतिक विरासत और सामुदायिक एकता का प्रतीक है। हर साल लाखों भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं, और कई लोग घंटों लाइन में खड़े होकर बप्पा का आशीर्वाद लेते हैं।


लालबागचा राजा कहां स्थित है?

लालबागचा राजा का पंडाल मुंबई के लालबाग, परेल क्षेत्र में पुतलाबाई चाल में स्थित है। यह स्थान मुंबई के उपनगरीय रेल नेटवर्क से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। चिंचपोकली, परेल, और कॅरी रोड स्टेशन पंडाल से 10-15 मिनट की पैदल दूरी पर हैं। पुणे से लालबागचा राजा की दूरी लगभग 150-170 किलोमीटर है, और मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे के माध्यम से यह सफर 3.5 से 4.5 घंटे में पूरा किया जा सकता है।

भक्तों में उत्साह की लहर

लालबागचा राजा की पहली झलक ने भक्तों में अपार उत्साह भर दिया है। कई भक्तों ने 40 घंटे तक कतार में खड़े रहकर दर्शन किए, जो उनकी गहरी आस्था को दर्शाता है। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामुदायिक एकता को भी मजबूत करता है। भक्तों का मानना है कि लालबागचा राजा के दर्शन से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, और यही कारण है कि यह पंडाल हर साल लाखों लोगों को आकर्षित करता है।

निष्कर्ष

लालबागचा राजा 2025 का प्रथम दर्शन गणेशोत्सव की शुरुआत का एक शानदार प्रतीक है। 20 किलो सोने का मुकुट, पर्यावरण के प्रति जागरूक मूर्ति, और भक्तों की अटूट आस्था ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया है। यदि आप इस साल गणेश चतुर्थी पर लालबागचा राजा के दर्शन करने की योजना बना रहे हैं, तो जल्दी से अपनी यात्रा की तैयारी शुरू कर दें।

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