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जीएसटी 2.0: रोजमर्रा की चीजें होंगी सस्ती, आम जनता और कारोबारियों को मिलेगा लाभ

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जीएसटी 2.0 के प्रमुख बदलाव

जीएसटी 2.0 का मुख्य उद्देश्य टैक्स सिस्टम को आसान बनाना, रोजमर्रा की चीजों को सस्ता करना और कारोबारियों के लिए अनुपालन प्रक्रिया को सरल करना है। केंद्र सरकार ने इसे तीन आधारों पर तैयार किया है:

  1. संरचनात्मक सुधार : इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को ठीक करना, जिसमें इनपुट और आउटपुट टैक्स में अंतर के कारण कारोबारियों को नुकसान होता है। इससे कार्यशील पूंजी की समस्या कम होगी और मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।

  2. टैक्स दरों में कमी : 12% स्लैब के लगभग 99% सामान 5% स्लैब में और 28% स्लैब के 90% सामान 18% स्लैब में शिफ्ट होंगे। इसके अलावा, लग्जरी और सिन गुड्स (जैसे तंबाकू, पान मसाला) पर 40% का विशेष टैक्स लागू होगा।

  3. जीवनयापन में आसानी : छोटे कारोबारियों और स्टार्टअप्स के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को तकनीक-आधारित और समयबद्ध बनाया जाएगा। प्री-फिल्ड रिटर्न और तेज रिफंड प्रक्रिया से अनुपालन आसान होगा।

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आम जनता के लिए क्या बदलेगा?

जीएसटी 2.0 लागू होने के बाद रोजमर्रा की जरूरतों की चीजें जैसे आटा, दाल, चाय, मसाले, पैक्ड फूड, कपड़े, जूते और दवाइयां सस्ती हो सकती हैं। टीवी (TV), फ्रिज (Fridge), वॉशिंग मशीन (Washing Machine) जैसे बड़े घरेलू सामान, जो पहले 28% टैक्स स्लैब में थे, अब 18% स्लैब में आएंगे, जिससे मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी।

हेल्थ (Health) और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम (Life Insurance Premium) पर जीएसटी छूट की संभावना भी है। अगर यह लागू हुआ, तो पॉलिसीधारकों को सालाना हजारों रुपये की बचत हो सकती है। उदाहरण के लिए, अगर 18% जीएसटी हटाया गया, तो एक लाख रुपये के प्रीमियम पर 18,000 रुपये की बचत होगी।


कारोबारियों को कैसे होगा फायदा?

छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए जीएसटी 2.0 गेम-चेंजर साबित हो सकता है। टैक्स स्लैब कम होने से अनुपालन आसान होगा और कारोबारी लागत घटेगी। दिल्ली के एक दुकानदार रमेश गुप्ता कहते हैं, “टैक्स सिस्टम जटिल होने से छोटे व्यापारियों को परेशानी होती थी। अब कम स्लैब और सरल नियमों से हमारी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।”

इसके अलावा, इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर (inverted duty structure) को ठीक करने से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर (Manufacturing Sector) को बढ़ावा मिलेगा, जिससे आत्मनिर्भर भारत (Self-reliant India) के लक्ष्य को बल मिलेगा। टैक्स रिफंड (Tax refund) की प्रक्रिया भी तेज होगी, जिससे निर्यातकों को फायदा होगा।


सरकार के सामने चुनौतियां

जीएसटी 2.0 (GST 2.0) से सरकार को शुरुआती राजस्व नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि टैक्स कटौती से सालाना 85,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। खासकर, इंश्योरेंस प्रीमियम (Insurance Premium) पर छूट से 9,700 करोड़ रुपये की कमी आ सकती है। हालांकि, लंबी अवधि में खपत बढ़ने से टैक्स संग्रह में सुधार की उम्मीद है।

दूसरी चुनौती है कीमतों का नियंत्रण। टैक्स कम होने के बावजूद, दुकानदार और थोक विक्रेता अपने लाभ के आधार पर कीमतें तय करते हैं। इसलिए सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि टैक्स कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचे। सीए अमित शर्मा कहते हैं, “खपत बढ़ने से बिक्री बढ़ेगी, जिससे सरकार का राजस्व लंबे समय में संतुलित हो सकता है।”


कब लागू होगा जीएसटी 2.0?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर घोषणा की थी कि जीएसटी सुधार दीवाली 2025 तक लागू होंगे। जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक सितंबर-अक्टूबर 2025 में होगी, जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) की अध्यक्षता में अंतिम फैसला लिया जाएगा। अगर मंजूरी मिली, तो यह 2017 के बाद जीएसटी (GST) का सबसे बड़ा सुधार होगा।

निष्कर्ष

जीएसटी 2.0 (GST 2.0) भारत की टैक्स व्यवस्था को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल आम जनता के लिए रोजमर्रा की चीजों को सस्ता करेगा, बल्कि छोटे कारोबारियों और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भी मजबूती देगा। हालांकि, इसके प्रभाव को बाजार (Market) में पूरी तरह दिखने में समय लग सकता है।

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