सर्दियों में पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए न करें ये 5 गलतियाँ

सर्दियों में पशुओं की देखभाल क्यों जरूरी है?

सर्दियों का मौसम पशुओं के लिए कई चुनौतियाँ लेकर आता है। अक्टूबर से फरवरी के बीच तापमान में कमी और ठंडी हवाएँ पशुओं के स्वास्थ्य पर असर डालती हैं। इस दौरान पशुओं की खरीद-फरोख्त भी बढ़ जाती है, जिससे बीमारियों का खतरा और अधिक हो जाता है। विशेष रूप से दुधारू पशु, जैसे भैंस, गाय और बकरी, को इस मौसम में विशेष देखभाल की जरूरत होती है।

पशु विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों में पशुओं में निमोनिया, सर्दी-जुकाम और अन्य संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है। यदि समय पर सावधानी न बरती जाए, तो पशु की उत्पादन क्षमता कम हो सकती है या उसकी मृत्यु भी हो सकती है। उदाहरण के लिए, एक अच्छी नस्ल की भैंस की कीमत 80,000 से 1,00,000 रुपये तक हो सकती है। लापरवाही के कारण उसकी मृत्यु होने पर पशुपालक को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इस लेख में हम सर्दियों में पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए कुछ जरूरी सावधानियाँ और उपाय साझा करेंगे। ये उपाय पशुपालकों को न केवल पशुओं के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करेंगे, बल्कि आर्थिक नुकसान से भी बचाएंगे।

सर्दियों में पशुपालकों को किन गलतियों से बचना चाहिए?

सर्दियों में पशुओं की देखभाल में कुछ गलतियाँ भारी पड़ सकती हैं। निम्नलिखित पाँच गलतियों से बचना जरूरी है:

  • पशुओं को खुला छोड़ना : ठंडी हवाओं और शीत लहर से बचाने के लिए पशुओं को खुले में नहीं छोड़ना चाहिए।

  • पशु मेलों का आयोजन : सर्दियों में पशु मेलों से बीमारियाँ फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

  • ठंडा चारा और पानी देना : ठंडा चारा या पानी पशुओं के पाचन तंत्र को नुकसान पहुँचा सकता है।

  • नमी और धुएँ वाली जगह पर रखना : ऐसी जगहें निमोनिया और अन्य श्वसन रोगों का कारण बन सकती हैं।

  • बिना डॉक्टर की सलाह इलाज करना : बीमारी के लक्षण दिखने पर केवल पशु चिकित्सक से ही इलाज करवाएँ।

इन गलतियों से बचकर पशुपालक अपने पशुओं को सुरक्षित रख सकते हैं।

पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए जरूरी उपाय

सर्दियों में पशुओं की देखभाल के लिए कुछ सावधानियाँ और उपाय अपनाए जा सकते हैं। ये उपाय न केवल पशुओं को स्वस्थ रखेंगे, बल्कि उनकी उत्पादकता भी बनाए रखेंगे।

1. मौसम का अपडेट और बाड़े की व्यवस्था

  • मौसम की जानकारी : दिन और रात के तापमान का अपडेट लेते रहें। मौसम विभाग की सलाह के अनुसार तैयारी करें।

  • बाड़े की सुरक्षा : बाड़े को तिरपाल या मोटे कपड़े से ढकें, ताकि ठंडी हवाएँ अंदर न आएँ।

  • फर्श की व्यवस्था : पशुओं के नीचे सूखा पुआल या घास बिछाएँ, ताकि वे ठंडे फर्श से बचे रहें।

2. पशुओं को गर्म रखने के उपाय

  • गर्म कपड़े और बोरी : पशुओं को मोटे कपड़े या जूट की बोरियों से ढकें।

  • खली और गुड़ : पशुओं को गर्म रखने के लिए उनकी डाइट में खली और गुड़ शामिल करें।

  • हल्का गर्म पानी : दिन में 3-4 बार पशुओं को हल्का गर्म पानी पिलाएँ।

3. बीमारियों से बचाव

  • टीकाकरण : पशुओं को समय पर जरूरी टीके लगवाएँ, जैसे कि खुरपका-मुँहपका रोग के लिए।

  • पेट के कीड़ों की दवा : पशु चिकित्सक की सलाह से पेट के कीड़ों की दवा खिलाएँ।

  • मक्खी-मच्छर से बचाव : बाड़े में नीम का तेल, लेमनग्रास या नारगुण्डी का उपयोग करें।

4. विशेष परिस्थितियों में देखभाल

  • गाभिन पशु : गर्भवती पशुओं का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि सर्दियों में वे बच्चा दे सकती हैं।

  • बीमार या कमजोर पशु : ऐसे पशुओं को अतिरिक्त देखभाल और गर्माहट प्रदान करें।

  • मृत पशु का निस्तारण : मृत पशु के शव को आबादी और जल स्रोतों से दूर निस्तारित करें।

5. बाड़े का रखरखाव

  • रोशनी और गर्माहट : बाड़े में पर्याप्त रोशनी और गर्माहट की व्यवस्था करें।

  • आग से बचाव : आग लगने वाली वस्तुओं को बाड़े से दूर रखें।

  • नया बाड़ा : यदि नया बाड़ा बनाना हो, तो उसे मौसम के अनुसार डिज़ाइन करें।

सरकार की योजनाएँ और सहायता

भारत सरकार और राज्य सरकारें पशुपालकों की मदद के लिए कई योजनाएँ चलाती हैं। राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP) के तहत पशुओं के टीकाकरण और स्वास्थ्य जाँच के लिए मुफ्त सुविधाएँ उपलब्ध हैं। इसके अलावा, पशु बीमा योजनाएँ भी पशुपालकों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती हैं।

पशुपालक स्थानीय पशु चिकित्सालय या कृषि विभाग से संपर्क कर इन योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। सर्दियों में पशु मेलों और बाजारों में पशुओं की खरीद-फरोख्त बढ़ जाती है। ऐसे में पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि वे केवल स्वस्थ और टीकाकृत पशुओं को ही खरीदें।

पशुओं की बीमारियों के सामान्य लक्षण और उपचार

सर्दियों में पशुओं में कुछ सामान्य बीमारियाँ देखने को मिलती हैं, जैसे:

  • निमोनिया : सर्दी और नमी के कारण श्वसन तंत्र में संक्रमण।

  • खुरपका-मुँहपका रोग : यह एक संक्रामक रोग है, जो तेजी से फैलता है।

  • पाचन संबंधी समस्याएँ : ठंडा चारा या पानी देने से पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है।

उपचार के लिए सुझाव :

  • बीमारी के लक्षण दिखते ही तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें।

  • बिना सलाह के पशुओं को दवाएँ न दें।

  • पशु को गर्म और सूखी जगह पर रखें।

निष्कर्ष

सर्दियों में पशुओं की देखभाल में सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। ठंड, नमी और बीमारियों से बचाव के लिए पशुपालकों को समय पर टीकाकरण, गर्माहट और उचित आहार सुनिश्चित करना चाहिए। सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर और विशेषज्ञों की सलाह मानकर पशुपालक अपने पशुओं को स्वस्थ रख सकते हैं। इससे न केवल पशुओं की उत्पादकता बनी रहेगी, बल्कि आर्थिक नुकसान से भी बचा जा सकता है।